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मधुरालय सुरभित आसव मधुरालय का 9

*मधुरालय*
              *सुरभित आसव मधुरालय का*9
चलो चलें स्वागत हम कर लें,
इस मधुरालय का मन से।
इसकी तीनों जग में चर्चा-
चहुँ-दिशि गरिमा  छाई है।।
      लोक और परलोक-अधोतल,
      आसव -आसव -आसव है।
      हाला की तो बात न पूछो-
      अति विशिष्ट तरलाई है।।
करुणा और मित्रता जागे,
सदा कुभाव सुभाव बने।
मधुर स्वाद अति मन को भाए-
अनुपम नेह -लगाई है।।
        लगे नेह पर विरत वासना,
        शुभ स्वभाव देवत्व जगे।
         देव-पेय सम सबको भाए-
         जब-जब यह इठलाई है।।
पीओ किंतु रहो अनुशासित,
भोग-योग-संयोग  जगत।
जीवन जीना यही सिखाए-
जीओ,जग बिछुड़ाई  है।।
        ईश्वर-कृपा रहे सब जन पर,
        यह केवल तब ही संभव।
        जब सब जन समझें यह दुनिया-
         अपनी नहीं,पराई  है।।
अपन-पराया भेद भूलकर,
सब जन रहना यदि सीखें।
देन यही आसव की होगी-
जानो यही सचाई  है।।
      चलो,आज यह करें प्रतिज्ञा,
       साथ-साथ मिल कर्म करें।
       खाना-पीना,सोना-जगना-
        यही भाव समताई है।।
ऊँच-नीच है रोग विकट जग,
इसको कभी न शह देना।
छुआछूत रिश्तों का कैंसर-
इसने आग लगाई है।।
     बात बनाने से बनती है,
     बिगड़ी बात बना डालो।
     अभी नहीं कुछ देर हुई है-
     ऋतु स्नेहिल अब आई है।।
वायु-अग्नि-जल पक्ष में तेरे,
मौसम करे पुकार अभी।
काले बादल सुखद-सुहाने-
ऋतु ने ली अँगड़ाई है।।
      बीन बजाओ,ढोल बजाओ,
       सुर साधो शहनाई का।
       धीरे से मुरली की धुन ने-
       ऐसी बात बताई है।।
आदि काल से इस आसव ने,
डोर प्रेम की निर्मित की।
प्रेम-डोर से सतत बँधें हम-
इसमें जगत-भलाई है।।
      आसव है संकेत प्रेम का,
       दिव्य दृष्टि का सूचक भी।
      है कपाट अध्यात्म-बोध का-
      जीवन आस-जगाई है।।
                  © डॉ0हरि नाथ मिश्र
                    9919446372

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8 Comments

Mohammed urooj khan

27-Jan-2024 02:24 PM

👌🏾👌🏾👌🏾👌🏾

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Rupesh Kumar

25-Jan-2024 11:04 PM

Nice one

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Gunjan Kamal

25-Jan-2024 10:09 PM

👏👌

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